शंकर सिंह वाघेला: शराबबंदी ये कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, जनता के कल्याण के लिए सरकार को दंभ छोड़कर फैसला लेना चाहिए. भाजपा सरकार शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर सकती तो प्रतिबंध हटने के बाद की परिस्थिति में भी अराजकता पैदा हो जाएगा. इसलिए भारतीय जनता पार्टी को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शराब पर प्रतिबंध लगाने की नीति का अध्ययन करना चाहिए. यदि जनता द्वारा चुनी गई सरकार यह तय करती है कि क्या खाना है, क्या पीना है और कैसे जीना है तो इस परिस्थिति को लोकतंत्र कहना कितना उचित होगा?
शराबबंदी के नियम को सख्त बताकर लोगों भयभीत किया जा रहा है. अगर कोई शराब पीते हुए पकड़ा गया तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है. लोग अब इस स्थिति से तंग आ चुके हैं. इसलिए उन्हे अब सोचना पड़ेगा. शराब बंदी की नीति से गुजरात का नुकसान हुआ है. शराबबंदी के कारण गुजरात में शराब माफियाओं का आंतक बढ़ा है. असामाजिक तत्व बढ़ गए हैं और काले धन में भी वृद्धि हुई है. राजनेता और अधिकारी इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं. शराबबंदी की वजह से जमा हुई रकम से ही राजनेता लोगों को शराब पिलाते हैं. सरकार को शर्म नहीं आती कि, शराबबंदी कानून का भंग करने के बाद जमा हुए रकम से चुनाव में वोट हासिल करने की कोशिश की जाती है. लोगों को इस पाखंडी-नीति और पाखंड का विरोध करना चाहिए.
सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति को जैसा है वैसा ही दिखना चाहिए. यदि कोई व्यक्ति शराब पीकर अपने परिवार या अन्य लोगों को परेशान कर रहा है, तो उसे दंडित करना चाहिए. नाबालिग शराब का सेवन न करें इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से लोगों को समझाकर शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाना चाहिए. जिन राज्यों में शराबबंदी कानून लागू नहीं है वहां का अध्ययन कर यहां भी उचित व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता है. शराबबंदी से होने वाली आय, फिर सीधे सरकार की तिजोरी में आएगी इस बात में कोई शंका नहीं है. क्योंकि आय तो बाय प्रोडक्ट है. आय का उपयोग जन उपयोगी कार्यों के लिए किया जा सकता है.
1996-97 की राज्य सरकार ने उद्योगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी पर कम टेक्स लगाया था और उससे होने वाले आय का उपयोग लोगों को स्वच्छ पानी प्रदान करने के लिए किया गया था. उसी तरह इस आय का उपयोग लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए किया जा सकता है. वर्तमान में बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ चिकित्सा उपचार पर लाखों रुपया खर्च होता है. सरकार इस तरह के आय का उपयोग कर सकती है. इसके अलावा, पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. शराबबंदी कानून के डर से कई लोग लठ्ठा, केमिकल या फिर यूरिया जैसी वस्तुओं का सेवन कर नशा करते हैं और मर जाते हैं. इसलिए लोगों के कल्याण के लिए शराब पर प्रतिबंध वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हटाकर एक नीति को लागू करना चाहिए.
(विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं. शंकरसिंह वाघेला “बापू” गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 50 साल से राजनीति में सक्रिय हैं.)